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Redevelopment पर निवासियों की ऐतिहासिक एकजुटता

Residents Show Historic Unity on Redevelopment Issue

नवी मुंबई/प्रतिनिधि : लगभग 3,500 परिवारों और सात सोसायटियों वाला सिम्प्लेक्स परिसर इन दिनों पुनर्विकास के मुद्दे को लेकर चर्चा में है। जर्जर और खतरनाक हालत में पहुंच चुकी इन इमारतों के पुनर्विकास की मांग लगातार तेज हो रही है। सभी आवश्यक अनुमतियां और सकारात्मक तकनीकी रिपोर्ट होने के बावजूद नगर निगम द्वारा पुनर्विकास की अनुमति नहीं दिए जाने से निवासियों में गहरा रोष है। इससे पहले महिलाएं नगर निगम कार्यालय पर मार्च कर चुकी हैं और रविवार को हुई सभा में भी महिलाओं ने अपना आक्रोश खुलकर व्यक्त किया।

रविवार को आयोजित सामान्य सभा में 95 प्रतिशत से अधिक निवासियों ने पुनर्विकास के पक्ष में मतदान किया और भगवती डेवलपर का सर्वसम्मति से चयन किया गया। निवासियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि किसी भी प्रकार की दुर्घटना होती है और जान-माल की हानि होती है तो इसके लिए नगर निगम आयुक्त को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

निवासियों का कहना है कि वे करदाता नागरिक हैं और सुरक्षित तथा स्वस्थ वातावरण में रहने का उनका अधिकार है। इमारतों की हालत बेहद खराब है। कई घरों में लगातार पानी टपक रहा है, प्लास्टर गिर रहा है और बरसात के मौसम में जान जोखिम में डालकर रहना पड़ता है। सांस लेने तक की जगह नहीं बची है, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं। वर्ष 2006 में ही सिडको द्वारा पत्र देकर इमारतों में लिकेज की स्थिति को स्वीकार किया गया था।

निवासियों के अनुसार, नई यूडीसीपीआर-2020 नीति के तहत यदि इमारत जर्जर हो और आईआईटी द्वारा संरचनात्मक ऑडिट रिपोर्ट प्राप्त हो, तो वह पुनर्विकास के लिए पात्र होती है। सिम्प्लेक्स की सभी इमारतों का आईआईटी द्वारा ऑडिट हो चुका है और वे पुनर्विकास के योग्य हैं। इसके बावजूद नगर निगम द्वारा अनुमति न दिया जाना समझ से परे है। निवासियों ने भरोसा जताया है कि सौरभ शिंदे के नेतृत्व में उन्हें उनका हक मिलेगा और राजनीति से दूर रहकर जल्द समाधान निकलेगा।

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