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मातोश्री पर कांग्रेस की ‘राजनीतिक दस्तक’, उद्धव गट से समर्थन की अपील

Congress' 'political knock' on Matoshree, appeals for support from Uddhav faction

मुंबई/प्रतिनिधी: महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों सत्ता नहीं बल्कि विपक्ष की कुर्सी के लिए रस्साकशी चल रही है। खासतौर पर महाविकास आघाड़ी (MVA) के तीनों घटक दल – कांग्रेस, उद्धव ठाकरे गट (उबाठा) और शरद पवार गट के बीच विधानसभा और विधानपरिषद में विपक्ष के नेता पद को लेकर अंदरखाने जोरदार जंग छिड़ी हुई है। इसी सिलसिले में कांग्रेस नेताओं का प्रतिनिधिमंडल सोमवार, 8 सितंबर को मातोश्री पहुँचा और उद्धव ठाकरे से मुलाकात की। कांग्रेस ने विधानपरिषद में विरोधी पक्षनेता पद के लिए समर्थन की मांग करते हुए उद्धव गुट से “गुहार” लगाई। इस मुलाकात में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार, बालासाहेब थोरात और अमीन पटेल शामिल थे। गौरतलब है कि अगस्त 2025 में विधानपरिषद में विपक्ष के नेता रहे अंबादास दानवे का कार्यकाल समाप्त हो गया। पावसाळी अधिवेशन (मानसून सत्र) के दौरान उन्हें औपचारिक रूप से विदाई भी दी गई। लेकिन उसके बाद यह पद रिक्त पड़ा है, और अब इस पर किसका कब्जा हो, यही मुख्य संघर्ष बन चुका है।

“संकट में एकता”: अब पद के लिए हो रही है युती

जहाँ आमतौर पर सत्ता प्राप्ति के लिए युती (गठबंधन) देखी जाती है, वहीं इस बार विपक्षी नेता पद के लिए ही महाविकास आघाड़ी में “राजनीतिक युती” का दृश्य सामने आया है। मौजूदा स्थिति में किसी एक पार्टी के पास विधानपरिषद में इतनी संख्या नहीं है कि वह अकेले इस पद पर दावा कर सके।
संख्याबल इस प्रकार है:

  • कांग्रेस: 7 सदस्य
  • उद्धव ठाकरे गट: 6 सदस्य
  • शरद पवार गट: 3 सदस्य

जबकि विधानपरिषद में विपक्ष का नेता बनने के लिए कम-से-कम 10% सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है।

वडेट्टीवार का बयान: “हमारा अधिकार है यह पद”

मुलाकात के बाद मीडिया से बात करते हुए विजय वडेट्टीवार ने कहा:

“हमने उद्धव ठाकरे से आगामी चुनावों की रणनीति और विधानपरिषद में रिक्त पद को लेकर चर्चा की है। हम शरद पवार से भी जल्द ही मिलेंगे और मुख्यमंत्री से भी बात करेंगे। संख्याबल के हिसाब से यह पद हमारा बनता है।”

उन्होंने आगे यह भी कहा कि विपक्ष के नेता का नाम दिल्ली स्तर पर तय होगा और सतेज पाटिल का नाम चर्चाओं में है। उन्होंने यह स्वीकार किया कि इस पर अंतिम निर्णय जल्द ही लिया जाएगा।

विधानसभा में भी उबाठा गट ने जताया दावा

जहाँ कांग्रेस विधानपरिषद पर नजर गड़ाए बैठी है, वहीं उद्धव ठाकरे गट ने विधानसभा में विपक्ष के नेता पद के लिए अपना दावा ठोंका है। इसके लिए वरिष्ठ नेता भास्कर जाधव का नाम आगे लाया गया है। लेकिन विधानमंडल के दोनों सदनों में स्थिति एक जैसी है – किसी एक दल के पास जरूरी संख्याबल नहीं है। यही कारण है कि अब सहयोगी दलों को एक-दूसरे से समर्थन मांगना पड़ रहा है।

सत्ता नहीं, पर पद की लालसा!

विशेष बात यह है कि इस बार लड़ाई सरकार बनाने के लिए नहीं बल्कि विपक्ष के नेता के पद के लिए लड़ी जा रही है। महाराष्ट्र की राजनीति में यह एक अलग ही परिदृश्य है, जहाँ पुराने सहयोगी अब आपसी सौदेबाजी और रणनीति के माध्यम से खुद को विपक्ष में भी सशक्त साबित करना चाहते हैं।

  • महाविकास आघाड़ी के तीनों घटक इस समय अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं – न सिर्फ आगामी चुनावों के लिए, बल्कि वर्तमान में राजनीतिक प्रभाव बनाए रखने के लिए।
  • विधानपरिषद में संख्याबल के अभाव के चलते कांग्रेस को समर्थन की आवश्यकता है, और इसी कारण वह उद्धव ठाकरे गट से समझौता करने को मजबूर है।
  • आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि विधानपरिषद में विपक्ष का नेता कौन बनता हैसंख्या की जुगलबंदी किसके पक्ष में जाती है, और दिल्ली से किसका नाम मंजूर होता है।
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