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राज ठाकरे का बड़ा बयान: गंगा की सफाई पर 33 हजार करोड़ खर्च, फिर भी हालात नहीं सुधरे!

Raj Thackeray's big statement: 33 thousand crores spent on cleaning Ganga, still the situation has not improved!

मुंबई : महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने गंगा नदी की सफाई और देशभर में नदियों के हालात पर बड़ा बयान दिया है। शिवाजी पार्क में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि गंगा की सफाई के लिए पहले राजीव गांधी ने मुहिम शुरू की थी और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस दिशा में काम कर रहे हैं, लेकिन स्थिति में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। ठाकरे ने यह भी बताया कि कई लोगों ने उनसे बताया कि वे गंगा में स्नान करने के बाद बीमार हो गए। राज ठाकरे ने कहा, “सवाल गंगा के अपमान का नहीं है, न ही कुंभ के अपमान का सवाल है, असली सवाल तो गंगा की सफाई का है। पहले राजीव गांधी और अब नरेंद्र मोदी ने गंगा को साफ करने का वादा किया, लेकिन लोगों को गंगा में स्नान करने के बाद बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। अब तक गंगा की सफाई पर 33 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन गंगा की स्थिति जस की तस बनी हुई है।” राज ठाकरे ने नदियों की सफाई और धार्मिक कार्यों के बीच तालमेल की कमी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “अगर धर्म के नाम पर हम अपनी नदियों को प्रदूषित कर रहे हैं, तो यह धर्म किस काम का है? क्या हम अपनी प्राकृतिक संपत्ति की रक्षा के बजाय धर्म के नाम पर इसे बर्बाद नहीं कर रहे हैं?”

कुंभ के दौरान नदियों में गंदगी

राज ठाकरे ने आगे कहा, “कुंभ मेला में 65 करोड़ लोग स्नान करने के लिए आए, जो आधे भारत के बराबर है। लेकिन क्या हम धर्म के नाम पर नदियों को गंदा नहीं कर रहे हैं? महाराष्ट्र की नदियों की स्थिति भी गंगा से कुछ अलग नहीं है।” इससे पहले भी राज ठाकरे ने भारतीय नदियों की सफाई को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। उन्होंने कहा था, “हमारे देश की कोई भी नदी साफ नहीं है, लेकिन हम इन नदियों को ‘माता’ मानते हैं। विदेशों में नदियां साफ होती हैं, लेकिन वहां नदियों को देवी-देवता नहीं माना जाता। हमारे देश में लोग नदियों में नहाते हैं, कपड़े धोते हैं और जो चाहें करते हैं।” राज ठाकरे ने अंत में सरकार से आग्रह किया कि नदियों की सफाई के लिए सिर्फ पैसों की बरसात ही काफी नहीं है, बल्कि एक ठोस योजना और कार्यवाही की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि नदियों के प्रदूषण को रोकने के लिए गंभीर कदम उठाए जाने चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारी नदियों को बचाया जा सके। यह बयान गंगा नदी की सफाई पर एक नई बहस को जन्म दे सकता है, खासकर जब धार्मिक कार्यों और नदियों के प्रदूषण के बीच एक संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है।

 

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