मानवाधिकारों के सम्मान पर राष्ट्रपति मुर्मू का जोर
President Murmu Stresses Respect for Human Rights
दिल्ली/प्रतिनिधि : नई दिल्ली में आयोजित मानवाधिकार दिवस 2025 और दैनिक आवश्यकताओं की सुनिश्चितता पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि भारत एक ऐसे राष्ट्र के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है, जहां मानवाधिकार केवल सुरक्षित ही नहीं, बल्कि सम्मानित भी हों। उन्होंने स्पष्ट कहा कि मानवीय गरिमा पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता और किसी भी व्यक्ति को उसके मूल अधिकारों से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि मानवाधिकार दिवस प्रत्येक नागरिक के लिए न्यायपूर्ण, समतावादी और करुणामय समाज की दिशा में विचार करने का अवसर प्रदान करता है। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय मिलना प्रत्येक व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है।
अपने संबोधन में उन्होंने मानवाधिकारों के वैश्विक ढांचे को आकार देने में भारत के योगदान का उल्लेख किया। विशेष रूप से उन्होंने संविधान सभा की सदस्य हंसा मेहता की भूमिका को रेखांकित किया, जिन्होंने सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणापत्र के मसौदे में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने समानता, गरिमा और न्याय पर आधारित विश्व की कल्पना की थी, और आज प्रभावी सरकारी योजनाओं, महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और आत्मनिर्भरता के माध्यम से भारत उसी दिशा में आगे बढ़ रहा है। हर वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस मनाया जाता है।