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Vijay Nahata Rejoins Shiv Sena : शिवसेना के लिए क्यों जरूरी हैं विजय नाहटा!

Vijay Nahata Rejoins Shiv Sena: Why is Vijay Nahata is a need for Shiv Sena?

सुधीर शर्मा/ नवी मुंबई : विधानसभा चुनाव में एनसीपी पवार गुट के टिकट पर बेलापुर से चुनाव लड़ने वाले विजय नाहटा ने शिवसेना में घर वापसी कर ली है. आज शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे ने विजय नाहटा को पार्टी में प्रवेश कराया. शिवसेना जिलाप्रमुख किशोर पाटकर की पहल पर विजय नाहटा की यह घर वापसी संभव हो सकी है. इससे पहले विजय नाहटा शिवसेना के उपनेता और पर्यावरण समाघात प्राधिकरण के चेयरमैन के पद पर कार्यरत थे. विधान सभा चुनाव में वादे के बावजूद टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने शिवसेना छोड़कर शरद पवार की पार्टी एनसीपी में चले गए थे. हालांकि चुनाव में उन्हें महायुति के सामने करारी शिकस्त मिली. खुद एकनाथ शिंदे जब महायुति प्रत्याशी मंदाताई म्हात्रे का प्रचार करने आए तब उन्होंने विजय नाहटा के खिलाफ जोरदार बयान दिया था. माना जा रहा था कि बेलापुर में कड़ी टक्कर दे रहे विजय नाहटा को शिवसेना चीफ एकनाथ शिंदे के बयान के बाद भारी नुकसान हुआ. खैर, शिवसेना में उनकी वापसी से नवी मुंबई का राजनीतिक माहौल एक बार फिर गरमाने वाला है.

देखिए कैसे हुई विजय नाहटा की घर वापसी

एकनाथ शिंदे की पार्टी के लिए चाणक्य हैं नाहटा

शिवसेना में घर वापसी के बाद पार्टी प्रमुख एकनाथ शिंदे ने विजय नाहटा का सम्मान करते हुए उन्हें फिर से उपनेता की जिम्मेदारी सौंपी है. विजय नाहटा के बारे में कहा जाता है कि वे एकनाथ शिंदे की शिवसेना में इकलौते ब्यूरोक्रैट हैं.  उनकी भूमिका आगामी महानगर पालिका चुनावों के मद्देनजर पार्टी के लिए हितकारी है. इसीलिए शिंदे ने उन्हें जी जान से काम में फिर जुटने का आव्हान किया है. अब तक यह जिम्मेदारी जिलाप्रमुख किशोर पाटकर और उपनेता विजय चौगुले के कंधे पर है.एक्सपर्ट मानते हैं कि किशोर पाटकर सिर्फ कहने के लिए पार्टी के जिलाप्रमुख पद पर हैं. असल में उनकी गतिविधियों से पार्टी न तो आगे बढ़ रही है न ही संगठन मजबूत हो रहा है. उपनेता विजय चौगुले स्वयं तक सीमित होते जा रहे हैं. गणेश नाईक के बढ़ते वर्चस्व के बीच नवी मुंबई में शिवसेना हासिए पर जा रही है. इसे रोकने के लिए विजय चौगुले और किशोर पाटकर के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं.  इनके मुकाबले विजय नाहटा की कार्यशैली बेहतर रही है. विजय नाहटा ने महज दो साल के भीतर मृतप्राय हो रही शिवसेना को नया जीवनदान दिया. बीते चुनाव की घोषणा से पहले तक पूरे महाराष्ट्र में नवी मुंबई शिवसेना इकलौती पार्टी रही जहां 3 हजार से अधिक कार्यकर्ताओं ने प्रवेश किया. नाहटा के बगावत विजय चौगुले या किशोर पाटकर वैसा नहीं कर पाए. एक्सपर्ट मानते हैं कि विजय नाहटा की छवि साफ सुथरी और एक एडमिनिस्ट्रेटर की रही है. कार्यकर्ताओं को मदद और उनकी समस्याएं हल करने में विजय नाहटा मददगार रहे हैं इसलिए दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ताओं का रुझान बढ़ा और हजारों कार्यकर्ताओं की शिवेसना में इनकमिंग हुई.

वन मंत्री गणेश नाईक के सामने मजबूत छवि

राजनीतिक हलकों में उपनेता विजय नाहटा की छवि बहुत मजबूत मानी जाती रही है. मनपा, सिडको या पुलिस हर प्रशासन के साथ उनके संबंध, उच्चाधिकारियों से समन्वय और सहयोग के कारण विजय नाहटा हर मुद्दे और समस्या पर समाधान दिलाने में लगभग सफल रहे हैं. उनके प्रयास सामाजिक और बाधित विकास लिए उपयोगी साबित हुए हैं. यही वजह है कि हर पार्टी के लोग विजय नाहटा को चाहते हैं. वनमंत्री गणेश नाईक और विधायक मंदाताई म्हात्रे जैसे बड़े नेताओं की कार्यशैली पर सवाल उठाने औऱ दमदार भाषा में प्रतिक्रिया देने के मामले में भी उपनेता विजय नाहटा शिवसेना के किशोर पाटकर और विजय चौगुले के मुकाबले सक्षम और मजबूत नजर आते हैं. मामला चाहे राजनीतिक हो या सामाजिक उसकी खामियों पर बोलने से भी वे पीछे नहीं हटते. आज कई ऐसे मुद्दे हैं जो विजय नाहटा के पार्टी छोड़ने के बाद लंबित पड़े हैं.सच ये भी है कि किसी भी नेता ने उसके समाधान पर ध्यान नहीं दिया है.

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