Sambhaji Raje aggressive | वाघ्या कुत्ते की समाधि क्यों हटाना चाहते हैं संभाजी राजे भोसले
Why Chhatrapati's descendant Sambhaji Raje Bhosale is aggressive on removing the tomb of Waghya dog?
मुंबई: राज्य में छत्रपती शिवाजी महाराज और उनके परिवार की गरिमा को लेकर उठते विवादों के बीच, संभाजी राजे छत्रपती ने एक नई मांग उठाई है। रायगड किले पर स्थापित वाघ्या कुत्ते के स्मारक को हटाने की अपील करते हुए, संभाजी राजे ने इस मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखा है। उन्होंने खत के जरिए कहा है कि इस स्मारक के कारण छत्रपती शिवाजी महाराज की विरासत का अपमान हो रहा है। संभाजी राजे ने वाघ्या कुत्ते के बारे में कहा कि “देश में एक ही वाघ था और वह थे छत्रपती शिवाजी महाराज। इतिहास में कहीं भी वाघ्या कुत्ते का कोई उल्लेख नहीं है।” उन्होंने इस विवाद को शांत करने के लिए इतिहासकारों की एक समिति गठित करने की मांग की, ताकि इस मुद्दे पर सत्य का पता लगाया जा सके. असल में बीते महीने भर से छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि स्थल पर मौजूद वाघ्या कुत्ते की समाधि को लेकर विवाद चल रहा है, जिस पर संभाजी राजे भोसले ने अब प्रतिक्रिया दी है.
संभाजी राजे भोसले छत्रपति शिवाजी महाराज के 13वें वंशज है,और रायगड़ राजधानी किल्ले पर छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यू के बाद आत्मदहन करने वाले कुत्ते वाघ्या की समाधि हटाने की मांग कर रहे हैं.क्या है वाघ्या कुत्ते की कहानी
वाघ्या (मराठी में वाघ का अर्थ बाघ होता है) मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज का मिश्रित नस्ल का पालतू कुत्ता था, जिसे वफादारी और शाश्वत भक्ति के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद उसने अपने स्वामी की चिता पर कूदकर आत्मदहन कर लिया था। रायगढ़ किले में छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि के पास एक चोटी पर छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा स्थापित की गई थी। 2011 में संभाजी ब्रिगेड के कुछ कथित सदस्यों ने वाघ्या की मूर्ति को हटा दिया था, लेकिन बाद में इसे फिर से स्थापित कर दिया गया. वाघ्या की याद में, 1906 में इंदौर के राजा तुकोजी होल्कर के दान से रायगढ़ किले में शिवाजी महाराज की समाधि के पास एक स्मारक बनाया गया.
महापुरुषों की अवमानना पर सख्त कानून की मांग
संभाजी राजे के अलावा, उनके छोटे भाई उदयनराजे भोसले ने भी महापुरुषों की अवमानना के खिलाफ सख्त कानून बनाने की मांग की है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि आखिर महापुरुषों के खिलाफ बयानबाजी करने वालों के खिलाफ अब तक कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया गया ? उदयनराजे ने कहा कि अगर विधानसभा में इस विषय पर विशेष अधिवेशन बुलाकर कड़ा कानून पारित नहीं किया गया, तो इसका मतलब होगा कि सरकार शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज की गरिमा को लेकर गंभीर है और किसी भी हालत में अपमान को स्वीकार नहीं करने वाली है. लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.
उदयनराजे भोसले कहते है –
महापुरुषों के खिलाफ अपमानजनक बयान देने वालों के लिए 10 साल की सजा का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इस मुद्दे पर तत्काल एक विशेष अधिवेशन बुलाया जाए और सख्त कानून बनाया जाए .
कहीं विरोध तो कहीं समर्थन
संभाजी राजे की इस मांग को लेकर रायगड पर स्मारक स्थापित करने वाले पक्ष और उनके समर्थकों के बीच विवाद बढ़ गया है। जहां एक गुट कुत्ते की समाधि को हटाने का समर्थन कर रहा है, वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि यह स्मारक ऐतिहासिक महत्व का है और इसे हटाना गलत होगा। इस विवाद ने फिर से महाराष्ट्र में छत्रपती शिवाजी महाराज और उनके परिवार के महत्व को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या सच में महापुरुषों की अवमानना के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाया जाता है या नहीं.